Moon चादँ


चादँ
Moon , Alfaaz Ankhay Say...
Moon

चादँ 



इक चाँद धीरे -धीरे कहीं गहरे उतर रहा है मुझमे ,

इक वक़्त का ठहरा , दरिया सिमट रहा है मुझमे , 

यूँ छलक रही है चाँदनी मेरे हर इक रोम -रोम में , 

उस खुदा का नूर बेखबर सा बिखर रहा है मुझमें ।।

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