Hamary Darmiya हमारे दरमियाँ

Hamary Darmiya ....

# हमारे दरमियाँ ***

Hamary Drmiya ...      हमारे दरमियाँ *  Alfaaz Ankhay Say ...
हमारे दरमियाँ 

    # हमारे दरमियाँ *


कुछ भी तो नही था कभी तेरे -मेरे दरमियाँ ,
फिर क्यूँ उठता है ग़ुबार सा इक सीने मे ।

तड़प है इन आखोँ में ज़ुबा भी तो ख़ामोश है ,
दिल भरा है दर्द से , क्या रख्खा है ऐसे पीने में ।

उलझी है निगाहें जब से तेरी , अदाओ में उसकी ,
आग दफ़न है दिल में ,क्या मज़ा है ऐसे जीने में ।

कुछ भी तो नही था कभी भी , तेरे -मेरे दरमियाँ ,
फिर उठती है ऐसी ब्यार क्यूँ ऐसे क़रीने से ।

कैसी है ये कसक क्यूँ है ये   उलझन ,बेक़रारी कैसी,
शिकायतें हमसे है कैसी ,फिर ये बेचारगी क्यूँ है जीने में ।

दर्द इन बेनाम हसरतों का कहाँ ले जायेगा मालूम नही ,
फिर क्यूँ बेनाम सा साया उलझा है मुझमे बड़े क़रीने से।

फकत रोज मिलते हो ख़्यालों में मलाल तो नही कुछ ,
मज़ा तो है गर सितमगर महबूब हो जाऐ अगले महीने  में ।

कुछ भी नही है ..*.है गर कुछ तो *हमारे  दरमियाँ ,
तो फिर ये बेनाम सी उलझन क्यूँ है जीने में ।।

HAmary Darmiya    हमारे दरमियाँ   Alfaaz Ankahy Say ....
हमारे दरमियाँ 




Comments

Post a Comment

Popular Posts