TANHAEEYO MAY...... तन्हाईयों में ......
तन्हाईयों में ......
कितने पाक है ये ईश्क के जज़्बें ,
जब इश्के - इबादत हो जाते है ....
इन्सान इश्क में ,
“इन्सान इश्क में “......
ख़ुद से खुदा हो जाते है ।।
“माँगेंगे “उस खुदा से .....
“ माँगेंगे उस खुदा “से ही ,
पाने की हसरत कभी ना थी ।।
जब कभी यादों की “तितलियाँ”
बन मोती आखोँ में झिलमिलाती है ।
शाख़ पर लरजते हुए
पत्ते की मानिंद
खाब़ भी तन्हाईयों में कसमसाते है ...
जब बिखर जाते है पल भर में
सदियों के गहरे नाते ...
फिर “आस के जुग़नू “
दिल को रोशन कर जाते है ।
वो अदना सा इन्सान .. इश्क में
“ख़ुद से खुदा “हो जाते है ।।
कितने पाक होते है
ये ईश्क के जज़्बें ,
जब ईश्क ही.....
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