Geet ....

Geet
                                                        *गीत मेरा सुर तेरे *
Geet ,*गीत मेरा सुर तेरे *, Alfaaz Ankahy Say ....
*गीत मेरा सुर तेरे 

*गीत मेरा सुर तेरे *


सात सुरों की सरगम हूँ मै ,
ग़ज़ल लिखो या लिखो रूबाई ,
*गीत मेरा ,सुर तेरे *ने ताल मिलाई ,
तेरी मन-वीणा के सुर बन जाऊँ ,
गीत बन होंठों को ... गुनगुनाऊँ ,
रूह के साज पर लिख दी है ,
तेरी इबादत ....
सजने लगी है ... सुर-ताल पे नई इबारत ,
रागिनी बन लहराऊँ .... तान पे तेरी,
खनक जाये छन से ... पायल जब मेरी ,
बन जाऊँ प्रीत की सुर-लहरी ,
बोल सजा दे मेरे ,
प्रेम के सुर ने छेडे़ है कई राग... सुनहरे
ठहरी हुई हवाओं ने है .... जादू बिखेरे ,
जब साग़र की लहरें अगंडाईयाँ ले,
बाँसुरी भी गा उठे ... मधुर तान है निकले
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया छेड़े ,
मन के तार तेरे-मेरे ,
एक दुसरे के सुर में बँधकर ,
दिल पर मीठी दस्तक देते ये गीत मेरे !!
महुआ की महक से सुरों में डूबे
मदहोश करे जब अहसास तेरे ,
इक रेशम की डोर से है बन्धें
*गीत मेरा और सुर तेरे* !!

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