अगर तुम मिल जाते
अगर तुम मिल जाते
अगर तुम मिल जाते , जल उठते उनके रुखे-रोशन से
तेरी चाहतों के बुझते से हुए .......... चिराग !
एक खत ....जो लिखा था ख्यालों में कभी तुमको ,
एक पता महफ़ूज़ है, जो आज तक मुकम्मल ना हुआ!!
उग जाती है खरपतवार की मानिंद ..कुछ यादें ,
जला देती है,
हर उस ताल्लुक को ... जो अज़ीज़ हुआ करते थे !
तेरे अक्स में ही समाया होता वजूद मेरा, मिल जाते अगर तुम तो ,
फिर परछाईयो में नही ,हसीं ख्वाबों में मुलाकात हमारी होती !
यूँ फेंकतें हो पाश ...रिहाई की उम्मीद भी नही देते ,
गर देते हो .. ..तो , फिर से टूटे अहस्आत की सौग़ात !
ना यूँ होती बजांरन हसीँ लबों पे , आखोँ में आवारा से अश्क ,
ख़त्म हो जाती जीवन की अधूरी प्यास ,अगर तुम मिल जाते !!
Comments
Post a Comment