The journey from darkness to darkness… ,अंधेरे से अंधेरे तक का सफर...
अंधेरे से अंधेरे तक का सफर...
# अंधेरे से अंधेरे तक का सफर...
मेरी वोल्स्टोन क्राफ्ट ने लिखा था कि
'मनुष्य विवेकशील प्राणी है,
'मनुष्य विवेकशील प्राणी है,
उसकी विवेकशील प्रकृति ही स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के
अधिकारों का स्रोत है. स्त्रियां भी निस्संदेह मनुष्य हैं.
अधिकारों का स्रोत है. स्त्रियां भी निस्संदेह मनुष्य हैं.
मनुष्य के नाते वे भी विवेकशील प्राणी हैं,
और विवेकशील प्राणी के नाते उन्हें भी
पुरुषों के समान स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय का अधिकार है.'
और विवेकशील प्राणी के नाते उन्हें भी
पुरुषों के समान स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय का अधिकार है.'
लेकिन ऐसी बातें सिर्फ लिखी ही रह जाती हैं ...
यह सत्य है, जब तक दिमाग आजाद नहीं होगा,
'महिला स्वतंत्रता' की बात करना बेमानी है.
सभी मनुष्य पुरुषस्त्री दोनों बुद्धिजीवी हैं ,तार्किक हैं,
पंरतु फिर भी सभी के दिमाग आजाद नहीं है ।
'महिला स्वतंत्रता' की बात करना बेमानी है.
सभी मनुष्य पुरुषस्त्री दोनों बुद्धिजीवी हैं ,तार्किक हैं,
पंरतु फिर भी सभी के दिमाग आजाद नहीं है ।
“जीवन क्या है” को महिला कभी समझ ही नहीं पाती,
क्योंकि उसे शुरू से ही स्वतंत्र परिवेश से पृथक रखा जाता है
और 'निर्भरता' से जीवन में संतुष्टि मिलती है,
का विचार उसकी चेतना का हिस्सा बना दिया जाता है.
क्योंकि उसे शुरू से ही स्वतंत्र परिवेश से पृथक रखा जाता है
और 'निर्भरता' से जीवन में संतुष्टि मिलती है,
का विचार उसकी चेतना का हिस्सा बना दिया जाता है.
कहाँ है नारी सशक्तिकरण है ?
जहां उसे अपने मन और अपनी देह पर भी अधिकार प्राप्त नहीं है?
शायद इसलिए “अमृता प्रीतम “
ने यह लिखा कि 'औरतों की जिंदगी कोख के अंधेरे से
कब्र के अंधेरे तक का सफर है'.
The Journey From Darkness To Drakness
ने यह लिखा कि 'औरतों की जिंदगी कोख के अंधेरे से
कब्र के अंधेरे तक का सफर है'.
The Journey From Darkness To Drakness
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