Water पानी रे पानी तेरी अजब रवानी ..



  पानी रे पानी तेरी अजब रवानी


Water ,  पानी रे पानी तेरी अजब रवानी  ... , Alfaaz Ankahy Say ...
Water 



  पानी रे पानी तेरी अजब रवानी 


पतझड़ सावन बसन्त बहार ,
बरसे  बादल ... गाये मल्हार 
बरसो प्यासी सूखी धरती पर 
हो नव -जीवन का संचार , 
बादलों के मिल गले ,
चले कभी तेज़ कभी मद्धिम -२ 
ले रूप बारिश की बूँदों का ,
गंगा से जब मिले तो.....
बनाता गगांजल तू पावन
बादल से तू मिले जब तो 
रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन ।
कोई रगं नही कोई रूप नही 
ढल जाये हर इक मौज में ,
सहज से सरल से बह जाता 
कभी नालीयों में बहे बेमुरवत के रोग सा , 

किसान को दे इक दिया आस का, 
बन मंज़र सूनी आँख से बह जाता है । 
बन झरनो का  संगीत मन को लुभाता है ,
जल ही जीवन है मछली का प्राणदाता है  । 

पेशानी पर गिरती है जब बूँदे पानी की ,
हुस्न गोरी का दमक फिर फिर  जाता है ।
हो जाये दगं देख सुन्दर  , मतवाली मूरत , 
टपकता है पानी की  बूँद बन मोती लट से , 
सौन्दर्य के उपासक फिर सुन्दर ग़ज़ल है गढ़ते ,
   

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Water 

चढ़ता है जब मन्दिर और देवालयों में , 
संकल्पित हो ,हो पावन , 
देवो के सीस पर हो विराजमान ,
बन चरणामृत प्रसाद रूप में है बँटता । Water ...
   
Water   पानी रे पानी तेरी अजब रवानी  .. , Alfaaz Ankahy Say
water

पानी रे पानी तेरी अजब है रवानी ...
कितने -कितने रूप तू धरता है , 
गिर सीप के मुख में मोती तू बनता है ।
मिल हवा सगं लहर लहर तू मचलता है , 
मिल किरणों से सूरज की ओंस रूप मे निखरता है । 
पेड़ भी झुककर जल को तेरे नमन करता है । 
पानी रे पानी तू ही इस जीवन में प्राण संचार करता है !


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