Rain ,“बूँदों की पायल जब खनकती है “
“बूँदों की पायल जब खनकती है “
Rain ,“बूँदों की पायल जब खनकती है “ |
“बूँदों की पायल जब खनकती है “
बारिश की ताल पर बूँदों की रुनझुन ....
बजती है जब ....घुँघरू की तरह ,
बेख़बर “सोये अरमान “ मचल उठते है ।
अक्स लिये फिरती है मोहब्बत का ,
संगीत की लय पर थिरकती बूँदे ....
तरसती निगाहों की कपँकपाती “लौ “
सुलग -सुलग सिहर सी जाती है ।
दिये की मानिंद जल उठते है ठिठोलियाँ करते,
भीगे से लम्हात मेरे ।
तकरार करती है मुझसे जब ये दूरियाँ तेरी ,
मनुहार करती , सोगवार करती है ,मनाती हूँ फिर ऐसे ,
जैसे हवा से सरगोशियाँ, अठखेलियाँ करते है ,ये बादल .... घनेरे ,
अहसास की तपिश जैसे , सरसराहट पत्तों की ,
चाहत थी इक ऐसी ,मुक्कमल हो गई हो कोई दुआ जैसे ,
मुकम्मल हो गया है जहाँ ये मेरा ,रात से मिल जाये जैसे सवेरा ।
जब बरसता है सावन , छनकती है बूदों की पायल ,
सीले -सीले बहारों के मौसम की शबनमी बूँदों के जैसे ।
सुलग जाते है , सिमट से जाते है अरमान ऐसे ,
ज्यूँ मचलती है बूँदे , हवाओ के आग़ोश में जैसे ।
घुमड़ते है बादल .... गरजते भी तो है बादल ,
कसक सी सीने में है , तभी तो तड़पते है बादल ।
बारिश की ताल पर बूँदों की ,रुनझुन के जैसे ,
घुल कर महक जाऊँगी इक रोज तुझमे ऐसे ।
सावन की बदरी में सिमटी है कोई घटा जैसे ।
सीप में मोती के जैसे ।
रोक ना पायेगा ये मिलन अपना
कोई भी ज़माने में ,
जिस रोज फ़ना हो जायेगी मेरी चाहत की बूँदे ,
बादलों के आग़ोश में ।
Rain ,“बूँदों की पायल जब खनकती है “ |
Beautiful
ReplyDeleteThank you so much ji
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