KALIPAN ख़ालीपन
ख़ालीपन
ख़ालीपन |
# ख़ालीपन (शोर भरे गलियारे )
ज़िक्र चलता रहा रात भर आपका ....
भूलकर सब .. तुम्हें ही तो खुदा कर दिया।
ख़ालीपन
ख़ालीपन ...कितना शोर करता है । चाहे वो इन्सानों का या मकानों का । जब इन्सान अन्दर से भरा रहता है हरवक़्त विचारों से । एक के बाद दूसरा ,अनगिनत विचारों की श्रंखलाएँ चलती रहती है । ख़ाली नही होता वो भीतरसे ।भरा हुआ है ,अन्दर से और बाहर से भी , जहाँ के इस मेले में । घिरा रहता है लोगों की भीड़ से । आदत सी होजाती है एक शोर के साथ जीने की । उसके अन्दर की आवाज को कभी सुन ही नही पाता । बाहर शोर ही इतना है कि वो सबके साथ
उसी का हिस्सा बन जीता है ।
बोध ही नही होता की खुद उसके
अन्दर क्या चल रहा है ।
उसी का हिस्सा बन जीता है ।
बोध ही नही होता की खुद उसके
अन्दर क्या चल रहा है ।
जैसे मकान ख़ाली होता है तो वहाँ कुछ भी
शोर हो तो उसकी तेज़ आवाज़ गूजँती है । वैसे ही जब इन्सानजब इस भीड़ से
कुछ जुदा होता है तो वो घबरा सा जाता है । कि वो अकेला कैसे रहेगा । एक आदत सी हो जातीहै उसे शोर में जीने की ।
शोर हो तो उसकी तेज़ आवाज़ गूजँती है । वैसे ही जब इन्सानजब इस भीड़ से
कुछ जुदा होता है तो वो घबरा सा जाता है । कि वो अकेला कैसे रहेगा । एक आदत सी हो जातीहै उसे शोर में जीने की ।
फिर कभी मजबूरी से ही जब उसका अपने -आप से मिलन होता है। तो हो जाता है हैरां देखकर उसे ..... उस इन्सान को .
.हाँ , मिलता है उस इन्सान से जो
वर्षों से उसके अन्दर था ...
जिसे ना उसे कभी समझा
ना जाना कभीदेखा भी नही ।
कभी जिसे प्यार भी ना किया । एक बहुत ख़ूबसूरत इन्सान से आज तक
मिलने से क्यूँ चूका रहा...
इक बेवजह डर था अन्दर उसके ,
.हाँ , मिलता है उस इन्सान से जो
वर्षों से उसके अन्दर था ...
जिसे ना उसे कभी समझा
ना जाना कभीदेखा भी नही ।
कभी जिसे प्यार भी ना किया । एक बहुत ख़ूबसूरत इन्सान से आज तक
मिलने से क्यूँ चूका रहा...
इक बेवजह डर था अन्दर उसके ,
फिर यह मलाल होता है ।
ख़ालीपन |
“चलती रहेगी हसरतों की ये दुनियाँ ...
मिलते रहेंगे और भी राहें -फसाने बहुत “
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