KAVITA
U Bani .....Kavita
* यूँ बनी कविता *
* यूँ बनी कविता * |
* यूँ बनी कविता *
ख्यालो के बंद दरवाज़े पे आज फिर एक दस्तक़ हुईं ..
कुछ लम्हें , कुछ भीगे से अहसास बाहर खड़े थे ..
कुछ जज़्बात मन के एक कोने में दुबुक कर बैठ गये ।
फिर गाहे-बेगाहे ज़िन्दगी की खिड़कियों से बाहर झाकनें लगे वो,
चुपके से प्यार कर बैठे ,बन्धनों में बँधने लगे ,
हो गई मुस्कुराने की आदत यूँ ही बेवजह ,
कभी लड़ने लगे कभी झगड़ने लगे
होले से गले भी मिलने लगे ,
गुनगुनाते , लहराते फिर नये साज सजने लगे ,
रंगो में फिर से कुछ इस तरहा रंगने लगे ....
कुछ लम्हात से मुलाक़ात होने लगी ।
**कविताएँ भी उगने लगी *
क़िस्से नये फिर बनने लगे ....
आग़ाज़ हुआ नई दुनिया का ,
अश्को के मोती होंठों पे सजने लगे ,
दर्द की दावतों में रूह के साज बजने लगे ....
हाँ आजकल कुछ नये से अहसास से हम गुंजने लगे 
![]() |
* यूँ बनी कविता * |
Comments
Post a Comment