Zindgi ..... ., जिन्दगी .....
जिन्दगी.....
जिन्दगी कैसे मोड़ पर ले आई है ,
जहाँ ना सुर है ना #साज है ।
बेसबब ,बेमुरव्वत समझ ना पाऊँ ,
तू ही तो मेरी जिन्दगी का # राज है ।
सारे सिलसिले तो बस तुझी से है ,
बेख़बर है तू, क्यूँ मुझसे # नाराज़ है ।
हमसफ़र है हमदम भी बस तू है ,
हर सफ़र का तुझसे ही # आगा़ज है ।
ओ मेरे सितमगर ... अ मेरे हमनशीं ,
मेरी हर खताओं का बस ” तू ही” तो #हमराज है ।।
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