Ulajhee Lat .. उलझी लट
# उलझी लट

उलझी लट सुलझाने लगे ....
गेसुओ की जब वोह !
अपने # मेहन्दीं लगे हाथो से
थम सी गई सासें ..
रूक गई सारी कायनात मेरी ...
यूँ ना सँवारिये ..
“ ना सँवारिये....,”
इस नज़ाकत से ज़ुल्फ़ें अपनी ....
दिल है सीने में ,...
वल्लाह कोई पत्थर तो नही ।
माना करते है ईश्क ,
तो - क्या जान
लीजियेगा हमारी.....
ये अदा , ये बाकंपन ....
ये शोख़ियाँ रहे यूँ ही सलामत ,
और कितना हम पर # सितम किजिएगा ...
हम तो बिमार है ...
तेरे मर्ज़ ए ईश्क में
,
ख़ुद्दारा ..
अब हमें ... तो बस # दुआएँ ही दिजीईए -गा
सजदे में झुकते रहे “हुस्ने -वफ़ा में” ,
हरदम हम यूँ ही ...
अब तो ...
“ रहमत अपने ईश्क की “
अदा कर दीजिए - गा ..
ना - यूँ सँवारिये ,
इस “ नज़ाकत “से ज़ुल्फ़ें ...
दिल
️ है सीने में ...
जी हाँ -करते है “ईश्क”
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