Shahar Se Tere ..... ( शहर से तेरे ..... बाक़ी है )

 # शहर से तेरे दर-बदर होना बाक़ी है 


# शहर से तेरे .....


जानकर भी  बनते  है जो .. बेख़बर ,
उनकी ख़बर बाक़ी है 
ठहरो तो ज़रा , 

इस मासूम दिल की अभी नज़र बाक़ी है 

हो गये हो , जो  तुम रौनकेमहफ़िलों में मसरूफ .... 

जान लो,

ज़िन्दगी का सफ़र इक साथ अभी भी बाक़ी है 

यूँ बे-कदर ना हो मुझसे अ ....." रहबर मेरे ",

अभी तो दर की तेरे ,  रहगुज़र बाक़ी है 


इतना तो यक़ीं है ,पत्थर को भी असर कर देगी

  इस नज़र में बस थोड़ी ही कसर बाक़ी है 

अमर रहेगा सदा ये इश्के -क़लन्द ,ख़बर है ये 
     
बस तेरे शहर से #  दर -बदर  होना बाक़ी है ।।

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