ALFAAZ...ANKAHY SAY अल्फ़ाज़ ...अनकहें से
# अल्फ़ाज़ ...अनकहें से
“” अभी - अभी तो लफ्ज़ों में समेटा है
मैंने # तुझको,
मैंने # तुझको,
अभी - अभी तो ....
मेरी ज़िंदगी में तेरा सफ़र बाकी है ””
मैंने नज्मों को आवाज़ दी है अभी तो ,
अभी तो हकीक़त में ढलना...
इनका बाकी है !
मंज़िलों का आगाज़ किया है अभी मैंने अभी तो पंखों को ....... परवाज़ देना बाकी है !
कुछ अल्फ़ाज़ है ...
दुबक कर बैठे है ,
जो दिल के किसी कोने में
छुप छुप , खेलते है ..
ज़िन्दगी से आँख मिचौली
ज़िन्दगी से आँख मिचौली
लफ्ज़ों में समेटा है
अभी तो मैंने तुझको,
अभी तो मेरी ज़िंदगी में...
तेरा सफ़र बाकी है !
कभी नज़रें मिलाकर ,
कभी नज़रों से छिपाकर
जो कह ना पाये ....
उन अहसासों को
रंग- बिरंगे पन्नों पर उकेर ,
सपने हज़ार सजाती हूँ ।
अभी तो मैंने
#सपनो को आवाज़ दी है,
नज्मों में ढलना ...
इनका बाकी है !
मिलेगे यूँ ही आपसे रोज ,
लेकर कुछ ख़्वाब ,
किसी की दिलकश ख़्वाहिशें ,
कुछ हसींन सपने
कुछ हक़ीक़त ज़माने की ।
अभी तोसपनो को आवाज़ दी है,.....
अभी तो
#पंखों को परवाज़ देना बाकी है !
अभी तो ......
चंद लफ्ज़ों में समेटा है मैंने तुझको,
अभी तो मेरी ज़िंदगी में
#तेरा सफ़र बाकी है
# ए ज़िंदगी
#तेरा सफ़र बाकी है !
अभी तो पंखों को ...
परवाज़ देना बाकी है !
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