BUS EK KHYAL.... बस इक ख़्याल .....
बस इक ख़्याल
# बस इक यही ख़्याल
दिल के ज़र्रे -२ में
बस इक ख़्याल है
गुफ़्तगू ही कर ले थोड़ी,
इतना तो एहतराम कर ले ,
बिन कुछ कहे ,
बिन कुछ बोले
बस , सब.....
” सब “तुम समझ लेना ....
धीरे से ,
बस तुम अपना हाथ
दे देना ...
बस तुम अपना हाथ
दे देना ...
मेरे इन हाथों में ..
वो छुअन ,
नर्म सी नाज़ुक वो
नर्म सी नाज़ुक वो
गरमाहट इन हथेलियों की .......
दे देना ...
मेरे इन हाथों में ।
मेरे इन हाथों में ।
इनमें ही तो , हाँ इनमें ही तो ...
धड़कती है
धड़कती है
सारी # कायनात मेरी ।
ये लकीरें , नसीब ,
ये क़िस्मत .... सब ,
सब फ़रेब के
आइने हैं ....
जो इक तेरा हाथ हो ,
मेरे हाथो में ,
तो ही मुकम्मल ज़िन्दगी,
के मायने है ।
के मायने है ।
इक उम्र तो क्या ,
गुज़ार दूँ सदियाँ ....
जो तिरे तस्वुर में ,
तस्वुर में तिरे ....
जो तिरे तस्वुर में ,
तस्वुर में तिरे ....
बस हो तो,
इक
मेरा ही नाम हो ।
तिरे होंठों की...
तिश्नगी में ,
महक हो ....
मेरी सासों की ...
तिरे ...
तिरे ...
ख़्यालों के महल में,
बस मेरी ही
रियासत हो ,
और ....
रूहें नमाज़ो में ,
बस # मेरी ही
अदावत हो ।
दिल के ज़र्रे -२ में ,
बस इक यही ख़्याल है ....
बस इक तुझसे ही तो .....
सवाल है ।
दिल के ज़र्रे -२ में ,
बस इक यही.
ख़्याल है ...
बस इक यही.
ख़्याल है ...
# बस इक यही ख़्याल है ......
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