CHAND SAY MOHBBAT .. # चाँद से मोहब्बत
# चाँद से मोहब्बत
ए चादँ .....
मैं और मेरा चाँद ,
आधा चाँद ,रात आधी
आधी नीदं के अधरों में ,
गुपचुप से कुछ गुमसुम से
रोज इक नया फसाना गढ़ते है ।
खोकर आग़ोश में बादलों की
रोज़ फिर मुझको छलता है तू ।
घटता है तू -गढ़ता भी तू है ,
फिर से इक नई कहानी में ,
पलता है तू ।
ए चाँद ...
ए चाँद ...
अन्धेरी रातों में पुरज़ोर हँसता है ,
तू चमकता है ,बरसता है नूर तेरा ....
होता है तुममें फिर , तस्वुरे- यार मेरा
शामिल है अश्को की रूसवाइयो में भी
मेरे हर लम्हे में ,हसँने -रोने में
पाने में और पाकर खोने में ।
काली स्याह रातों में जब ,
होती है रोशन तेरी चाँदनी
दमकती है ,बहकती है रौनक तेरी ,
तारों के आलिंगन में .ये इठलाहट तेरी
कर जाती है ....
फिर से बेचैन !
“ यूँ बेचैन मुझको “
# जब भी चादँ मिरा ,
मुझको याद आता है ।।
यूँ बे -वजह .....
तू मत मुस्कुरा - ए चाँद ,
जैसे , कोई खिलाफत कर रहा है ।
यूँ ही बना कर तस्वीर उसकी मैं ,
#चाँद पर टाँग आया हूँ
पूछते है लोग।
पूछते है लोग।
फिर से - क्यूँ
मैं # चाँद से मोहब्बत कर आया हूँ !!
मैं # चाँद से मोहब्बत कर आया हूँ !!
क्या गज़ब लिखा है...
ReplyDeleteBhout - Bhout Sukria Sir ....
Deleteतसब्बुरे यार कर लीजिएगा
ReplyDeleteThanks Ji...
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