ZINDGI EK RYTT KA DARYIA .... # ज़िन्दगी इक रेत का दरिया
# ज़िन्दगी ...
वक़्त है इक रेत का दरिया
होले - होले मुट्ठी से फिसल रहा
आँख -मिचौली खेल रही है ज़िन्दगी ,
पल -पल बदलती जा रही है ज़िन्दगी,
मुट्ठी से रेत सी ,सरकती जा रही है ज़िन्दगी
कुहरा छँटने लगा है समय लगा है चलने ,
यादों के मजंर आँख -मिचौली खेल रहे है।
शिकवे -शिकायतों का फ़लसफ़ा है ज़िन्दगी
है ख़ुशी का आलम तो ,कभी है ग़म ज़िन्दगी
वक़्त भी रेत के मानिंद फिसल रहा है ,
चन्द लम्हों में ही गुजरती जा रही है ज़िन्दगी
अच्छे बुरे लोग कितने ,मिले ज़िन्दगी की सहरा में ,
धीरे -२ अब होश में आ रही है ज़िन्दगी ।।
उगंलियों की दरारों से , फिसलती रेत में
हताश ही हताश नज़र आ रही है ज़िन्दगी
ह्रदय की टेर गहन ... होती जा रही है
बीत गये जो हैं समां ज़िन्दगी में ,
फिर से उन्हें दोहरा रही है ज़िन्दगी
बेरहम वक़्त के साये में खो गये जो पल ,
पाने को आतुर उनको ,
जोश में आ रही है ज़िन्दगी ।
यूँ - ही पल -पल.........
हर पल ,
# बदलती जा रही है ज़िन्दगी
वक़्त है इक रेत का दरिया
वक़्त है इक रेत का दरिया
होले - होले मुट्ठी से फिसल रहा ....
बेहतरीन उम्दा बेनज़ीर शानदार आला दर्जे का लिखा है
ReplyDeleteThank you Thanq .. so much /\
Deleteवाह
ReplyDeleteBhout Sukria...
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