YADYOO KI SHALE... # यादो की शाल
# यादों की शाल
यादों की शाल जब ओढ़कर ...
ख़्वाबों के बिस्तर पर ..
जब ......मैं लेटता हूँ ।
होले से पास आकर मेरे ,
ओढ़ा देती हो
हसरतों का लबादा ...
कुछ रतजगे है तेरे नाम के
कुछ सलवटें है ख़यालों की ....
भीनी सी ख़ुशबू है तेरे बदन की
सब साथ होती है मेरे
ख़्वाबों के बिस्तर पर जब ...... .... मैं लेटता हूँ ।
यादों की शाल ..,,
जब ओढ़ता हूँ ।
तेरा यूँ गेसुओ को झटक कर ,
चाँदनी जैसे छिटकाना ....
सब साथ ...... मेरे होता है ।
पहाड़ की उचाईयाँ या हो
नदी का किनारा
मदमस्त बादलो
की मानिंद यूँ धीरे से छू ,
कर बरस जाना
" सब " ..... साथ होता है मेरे ....
जैसे हवाएँ सरगोशियां ,
करती है कानों में
करती है कानों में
तेरे बदन की ख़ुशबू का मुझ से ,
लिपट -लिपट जाना
" सब "...... सब साथ होता है मेरे ।
औंस की बूँदें जब चूमती है ,
फूल की पेशानी ..
और तेरा शरमा कर ,
वो पलके झुका कर मुस्कुराना
सब .....मेरे साथ होता है ।
अगंड़ाई लेती है
जब सुबह ,
तेरे गेसुओ का मुझ पर
यूँ बिखर जाना ,
सीप में बन्द मोती की जगमगाहट ,
वो यूँ मुझ में लरजते हुए ,
सिमट जाना
" हाँ सब " ..... साथ है मेरे
ले जाओ मुझे भी ,
हाँ .. ले जाओ मुझे भी
अब साथ मे तेरे .....
नही रहना है मुझको ,
अब साथ मेरे ...
अब साथ मेरे ...
कैसे - कह दूँ ......
माना #उलफत तो है ,
आज भी उसको ..
बस हमने ही
आज भी उसको ..
बस हमने ही
“ आज़माना “ छोड़ दिया
# यादो का शाल जब ओढ़ता हूँ ......
बेमिसाल,
ReplyDeleteThanks...
Deleteशानदार
ReplyDeleteSukriaa ....
Deleteबेमिसाल
ReplyDeleteThanks A lott....
DeleteBeautiful ��
ReplyDeleteThank you so much .....
Deleteइस्तकबाल
DeleteAabhar Sir ...
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