DREAMS OF DESIRES # सपने अधूरी_ख़्वाहिशों के......
# सपने अधूरी_ख़्वाहिशों के
ज़िन्दगी का हर हिस्सा अधूरा है
ढूँढती हूँ , “वो क्या है जो मुझमें पूरा है “
ख़्वाब है कुछ टूटे से ,बिखरे से
सुबह होती है ....
समेटती हूँ , सहेजती हूँ
एक -२ टुकड़े को फिर से जोड़ती हूँ।
होंठों पर इक मुस्कान सजाए ....
सब से हँस कर मिलती हँू
लाती हूँ मुस्कान हर ईक चेहरे पे
बन इक जोकर हो जैसे ...
सीने में दर्द के ग़ुबार लिये
सजा कर पेश करती हूँ ख़ुद को
इस दुनिया के आगे
रस्म हो कोई ,या हो कोई भी रिश्ता ।
डर जाती हूँ फ़िर कभी -कभी मैं ...
कि हँसी में मेरी ... कोई
चुन ना ले मेरे # दर्द की किरचों को
जो चुभती है जो हर रात रूह में मेरी
बंद कमरों के ख़ामोश अंधेरों में
रात के पसरे ..... सन्नाटे में ....
सो जाते हो जब तुम नींद के आगोश में
तब बुनती हूँ ........ कुछ सपने
# अधूरी_ख़्वाहिशों के


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