MOHABBET WALI COFFEE मोहब्बत वाली काफ़ी
# मोहब्बत वाली काफ़ी
तुम्हें याद है ......
वो पहला सा प्यार और पहली बार
काफ़ी शाप में मिलना ।
ना था शब्दों का सिलसिला
हम दोनों में देर -तलक
धीरे-२ ख़ामोशियाँ लफ़्ज़ों की ,
मिलकर साथ गुनगुनाने सी लगी ।
फिर होले होले से ,
अल्फाज तुम अपने ..
अल्फाज तुम अपने ..
कप में मेरे गिराकर .....
देखकर "मेरी ओर "
धीमे से ...मुस्कुरा रही थी ।
# रूह के तार जुड़ने लगे ,
ख़ामोशियाँ फिर मचलने लगी ।
सिमटने लगे अनजाने से ख़्वाब
देखा जब शोख़ निगाहों में ।
भूल आई थी तुम ,
अपनी सासें मेरे होंठों पर
और मैं अपनी रूह को
जिस्म में तुम्हारे छोड़ आया था ।
ताउम्र ना भूलेगी .. ..
जब साथ मिलकर पी थी ,
वोह # मोहब्बत वाली काफ़ी
OKKK...
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