RESPECTED WOMEN - 3 सम्मानित औरतें (Part 3 )
# सम्मानित औरतें
ईस्तमाल ( यूज़ ) करना ही तो है ....
जहाँ नारी को महज़ एक इन्सान नही
सिर्फ़ संस्कारी बहूँ माना जाये ।
जिसका फ़र्ज़ है हर रिश्ते को निभाना ।
हाँ वही परिवार ही बाद में
उसे “बेअक्ल “ “फूहड़ “
“ तुम्हें तो कुछ आता नही“
“ तुम्हें तो कुछ आता नही“
के तमग़ो से सम्मानित करता है ।
और ....... वह जीवन के उस छोर पर
अकेली बैठी सोचती है ...
कि मैं“”बेअकल ,फूहड़ , कुछ नही आता ....
कैसे हो गई “”
“ उम्रदराज़ माँग कर लाये थे दो दिन
दोनों ही तेरे ही सफ़र में कट गये “
ताउम्र तुम्हारे ही बनाए रास्तों पर चली ,
कहाँ थी मैं ??
बस तुम सब ही तो थे ...
क्यूँ ....... ताउम्र वो ये सब सहती है ?
किनके लिये ?
वो जो उसके बहुत अपने है उनके लिये ??
आज तक हम शारीरिक रूप से
शोषण करने वाले को
शोषण करने वाले को
हम सज़ा दे सकते है लेकिन
उसके अपने ,बहुत अज़ीज़ ,
जान से भी प्यारे लोगों द्वारा
उसका जो रोज़-२
मानसिक बलात्कार कियाजाता है
मानसिक बलात्कार कियाजाता है
उसका क्या ??
बताए ?????
है क्या उत्तर किसी के पास ?????
है क्या उत्तर किसी के पास ?????
मैं तो अभी भी अपनी बेचैन रूह
के अल्हड़ , रगींन , चुलबुले ,
के अल्हड़ , रगींन , चुलबुले ,
मासूम से सपनों को
खुली आँखों में“भीचें “।
खुली आँखों में“भीचें “।
एक अपनेपन के स्पर्श की चाह लिये
अभी भी वहीं खड़ी अपने साथी -
अपनो का इन्तज़ार कर रही हूँ ....
Khoobsurat
ReplyDeleteBhout-Bhout Sukria
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteThank you Sir ... Your inspiration means to me ...
Deleteकमाल लिखा है
ReplyDeleteThanks A Lott Sir ...
Deleteज़बरदस्त
ReplyDeleteBhout - Bhout Sukria ..
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