DREAMS OF CHILDHOOD # बचपन के ख़्वाब
# बचपन के ख़्वाब
आज यादों की अलमारी से .....
कुछ भूली बिसरि सी
पन्नो की धूल झाड़ी....
तो उनसे कुछ पुराने
बचपन के ख़्वाब
आज के लम्हे मे
यूँ ही सरक कर गिर गए ...
यूँ ही सरक कर गिर गए ...
फिर से वो अठखेलियाँ
ज़िंदा हो चली.
उनके संग मैं भी उड़ चली
वो पल... वो लम्हे .... वो सरफिरे से
एहसास बचपन के
हमको महका रहे थे ...
वो गर्मी की छुट्टियाँ ,
वो नानी का घर
वो खुली छत्तो पर कूदना -फाँदना
रात भर जाग -जाग कर पढ़ना
बेफ़िक्री की नींदों में सपने बुनना
भाईयों से लड़ना -झगड़ना
माँ का प्यार - पापा का दुलार ....
बहुत याद आती है वो
उन्मुक्त गगन की उड़ान
वो बचपन बहुत याद आता है
हाँ याद आता है .......
भूला सा वो प्यारा बचपन
बहुत याद आता है !!
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