KHABbYO KI TAaBIR ... ख़्वाबों की ताबीर
ख़्वाबों की ताबीर
# ख़्वाबों की ताबीर
दे दे गर ये हक़ तू मुझको ..
मैं फिर से क़रीब तेरे आना # चाहता हूँ ।।
हो जो तेरे ख़्वाबों की मुकम्मल ताबीर,
अक्स उसका बन जाना चाहता हूँ ।
ताबीज़ बन मन्नत का गले में तेरे,
तुझमें ही सजना चाहता हूँ ।
गेसुओ में उलझी -रातों में मेरी,
जगाना तुझको मैं चाहता हूँ ।
बस इक मौक़ा गर तू दे ,
तिरे पहलू में बिखरना चाहता हूँ ।
उलझे से गेसुओ में सुलझी घटा बन
तेरे सुर्ख़ गालों पे इतराना चाहता हूँ ।
बस जाऊँ तिरे आँखों की चिलमन में ,
परदे ,पलकों के सरकाना चाहता हूँ ।
हो क़ातिल सी सरगोशियाया.. या ,
एेसे तेरे होंठों पर मुस्कुराना चाहता हूँ।
लेकर आग़ोश में तेरे ख़्वाबों की दुनिया ,
हर पल ख़ुशियों में झुलाना चाहता हूँ।
गिरे जो तेरी आँख से अश्क कभी,
छूकर लबों से नायाब मोती बनाना चाहता हूँ ।
दे दे गर ये हक़ तू मुझको ..
मैं फिर से क़रीब तेरे आना # चाहता हूँ ।।
Very nice
ReplyDeleteThanks
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